मुंबई राजपूत मेंशन -
"अरे बेटा आरजू तूं तैयार हुई या नहीं नीचे बारात आ चुकी है। "एक औरत अंदर कमरे में आते हुए हांफते हुए बोली उसकी उफान मारती सांसे बयान कर रही थी की उसने कितनी भागादौड़ी की होगी ।
"हां मां हम बिल्कुल तैयार है। " मिरर के सामने बैठी लड़की मुस्कुराते हुए बोली।
आरजू राजपूत - उम्र 22 साल नीली आंखे दूध सा गोरा रंग लंबे घने बाल झील सी आंखे जिसमे किसी का भी डूब जाने का मन करे गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होठ हजारों लड़के दीवाने थे उसके मगर वो दीवानी थी ध्रुव की ध्रुव उसके बचपन का प्यार जिससे आज उसकी शादी होने वाली थी
आरजू की आवाज सुनकर महिला जो अभी तक अपनी सांसों को संभालने में लगी थी उन्होंने अपनी नजरे उठाकर मिरर के सामने बैठी लड़की को देखा जिसका चेहरा मिरर में साफ साफ दिख रहा था । बला की खूबसूरत लग रही थी वो मानो स्वर्ग से साक्षात अप्सरा उतर आई हो।
मैरून कलर का डिजाइनर लहंगा जिसके साथ मैचिंग दुपट्टा और चूड़ियां साथ ही गले में हेवी ज्वैलरी नाक में नथिया मांग में मांग टीका दुल्हन के रूप में वो कहर ढा रही थी उसे देखते ही उस औरत के चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ गई वो अपने कदम बढ़ाकर उस लड़की के करीब आ गईं और उसकी बालाएं लेते हुए बोली," हाए नजर न लगे मेरी बच्ची को बिल्कुल चांद का टुकड़ा लग रही है। "
कहते हुए उन्होंने अपनी आंखो के किनारे से थोड़ा सा काजल निकाल कर उस लड़की के कान के पीछे लगा देती हैं उनकी हरकत पर आरजू की स्माइल और लंबी हो गई।
"मां जब तक आप हमारे पास हो हमे भला किसकी नजर लगेगी।" मुस्कुराते हुए वो जाकर उस औरत के गले से लग गई ।
"अच्छा अब अगर ये भरत मिलाप हो चुका है तो दुल्हन को लेकर नीचे मंडप में चलो शांति दरवाजे पर खड़े। "आरजू के पापा यानी हरीश जी बोले।
शहर के जाने माने वकील थे हरीश जी फेमस क्रिमिनल एडवोकेट मजाल हो आज तक उन्होंने कोई केस हारा हो उनकी काबिलियत का डंका था पूरे शहर में । उनकी दो बेटियां ही थी आरजू और आरवी और उनकी जान बसती थी अपनी बेटियों में बचपन से उन्होंने बड़ी ही लाड प्यार से पाला था दोनो को अपनी बेटियों की खुशी में ही उनकी खुशी थी तभी तो आरजू ने जब उन्हें अपने प्यार ध्रुव के बारे में बताया तो उसकी फैमिली से मिलकर उन्होंने आरजू और ध्रुव की मर्जी से उनकी शादी तय कर दी ।
हरीश जी ने प्यार से आरजू के माथे को चूम को लिया और उसके चेहरे को अपने हाथ में थामे हुए बोले," कितनी जल्दी बड़ी हो गई ना तूं हमे तो पता ही न चला और आज वो दिन भी आ गया जब तूं हमे छोड़कर किसी और के घर चली जायेगी कहते वक्त हरीश जी की आंखे छलक उठी ।"
"पापा प्लीज आप रोइए मत वरना हमे भी रोना आ जायेगा। "आरजू भर्राए गले से बोली हालांकि आंखे तो उसकी भी नम हो चुकी थी ।
"अरे नही बेटा ये तो खुशी के आंसु है मेरी बेटी एक नई जिंदगी की शुरुआत करने जा रही है बस इसी बात की खुशी है बच्चे अपनी लाइफ में खुश रहे एक मां बाप को और क्या चाहिए। पर सच में तेरी बहुत याद आयेगी रोज सुबह तेरे हाथो की बनी काफी से सुबह होती थी I miss you my child"
कहते हुए उन्होंने आरजू के माथे पर हाथ फेरा," शांति नीचे ध्रुव मंडप में आरजू का इंतजार कर रहा है जल्दी से इसे लेकर नीचे आ जाओ कह कर वो जल्दी से कमरे से बाहर निकल गए क्युकी अगर वो थोड़ी देर और रुकते तो वो अपने आंसुओ को रोक न पाते और ऐसी खुशी के मौके पर वो आरजू को रुलाना नही चाहते थे। "
उनके जाने के बाद शांति जी ने आरजू का हाथ थामा और उसे लेकर नीचे मंडप की ओर बढ़ गईं ।मंडप में ध्रुव पहले से ही आरजू के इंतजार में बैठा हुआ था तभी उसके कान में आवाज पड़ी ,"वो देखो दुल्हन आ गई "
और ये आवाज सुनते ही ध्रुव ने तुरंत अपनी नजरे सीढ़ियों की ओर घुमा दी और जैसे ही उसकी नजर जाकर आरजू से मिली उसकी धड़कने एकदम तेज हो गईं ।उसकी खूबसूरती में खोने से ध्रुव खुद को रोक न सका और बिना पलके झपकाए वो आरजू को देखता रहा उसे यकीन ही नहीं हो रहा था की सच में उसकी शादी आरजू से हो रही हैं कितनी मन्नते मांगी थी उसने अपनी मोहब्बत को मुकम्मल करने के लिए और आज उसकी मोहब्बत उसे हमेशा हमेशा के लिए मिलने वाली थी और ये खुशी ध्रुव के चेहरे पर साफ साफ देखी जा सकती थी वहीं आरजू भी ध्रुव को देख कर मंद मंद मुस्कुरा रही थी शांति जी ने उसे ले जाकर ध्रुव के बगल में मंडप में बिठा दिया ।और खुद आकर हरीश जी के बगल में खड़ी हो गईं पंडित जी ने आरजू का हाथ ध्रुव के हाथ में पकड़ाया और मंत्र पढ़ना शुरू कर दिया ।
ॐ मंगलम भगवान विष्णु मंगलम गरुड़ध्वज
मंगलम पुंडरीकाक्षय मंगालय तानो हरी :
बूम गोलियों की आवाज से पूरा घर गूंज उठा, शादी में मौजूद लोगो के बीच भगदड़ मच गई भागो भागो बचाओ की आवाज से पूरा हॉल गूंज उठा,"कोई अपनी जगह से नही हिलेगा !"
एक रूह कंपा देने वाली तेज आवाज पूरे हॉल में गूंज उठी इससे पहले कोई कुछ समझ पाता ब्लैक यूनिफॉर्म पहने सैकड़ों आदमियों ने मिलकर पूरे हॉल को चारो तरफ से घेर लिया और सारे लोगो पर बंदूक ताने खड़े हो गए। हरीश जी और शांति जी भी खौफ के मारे एक दूसरे को देखने लगे वहीं मंडप में बैठी आरजू तो मानो कुछ समझ ही नही पा रही थी।
तभी भिड़ को चीरते हुए एक आदमी जिसकी उम्र करीब 30 साल होगी सबके सामने आया उसे देखकर सब लोगो की आंखे फटी की फटी रह गईं ,"R K ."
सबके मुंह से सिर्फ एक ही नाम निकला उस आदमी ने अपने चेहरे पर मास्क लगाया था फिर भी उसकी ग्रीन आईज देख सब पहचान गए रॉयल किंग इस नाम को शहर का बच्चा बच्चा जनता था और उसकी शक्सियत ऐसी थी की उसके नाम से ही लोगो में खौफ उतर आता था। किसी की इतनी हिम्मत नही जो रॉयल किंग के सामने अपनी नजर उठा सके आवाज उठाना तो दूर की बात थी। सभी उसके क्रुएल नेचर से अच्छी तरह से वाकिफ थे मगर हरीश जी के घर में उसे देख सब हैरान थे भला उनसे RK की क्या दुश्मनी हो सकती है सबके मन में यही सवाल उठ रहे थे ।
तभी RK आकर मंडप के ठीक सामने खड़ा हो गया और अपनी ग्रीन आंखो से आरजू को देखने लगा उसकी नजरो ने आरजू को खौफ से भर दिया। हरीश जी आगे आए और हल्की कड़क आवाज में बोले तुम यहां क्यू आए हो RK और इस तरह से मेरी बेटी की शादी में आकर हंगामा मचाने का क्या मतलब हैं । हरीश जी की बात सुनकर R k उनकी ओर पलटा और बिना कुछ बोले उसने अपने कदम हरीश जी की ओर बढ़ा दिए उसका करीब आना हरीश जी को अंदर से डरा रहा था फिर भी वो हिम्मत करके डटे रहे और बिना पलके झपकाए उसकी आंखो में आंखे डालकर देख रहे थे RK उनके एकदम करीब आकर खड़ा हो गया.," गुनहगारों को सजा देने का वक्त आ गया है बरसो पहले जो गलती की थी आज उसकी सजा मिलने वाली है .. बदला लेने आया हूं ।"
उसकी बात सुनकर हरीश जी ने अपने कदम पीछे खींच लिए उनके कदम लड़खड़ा गए । ये देख RK के होटों पर तिरछी स्माइल आ गई ," इतनी जल्दी टूट गए अभी तो मैंने शुरुआत भी नही की अभी से हिम्मत हार गए अभी तो तुम्हारी इन आंखो को बहुत कुछ देखना बाकी हैं ससुर जी। "
RK ने ससुर जी पर ज्यादा जोर देते हुए कहा और टेढ़ा मुस्कुराते हुए दोबारा मंडप की ओर पलटा मगर आगे बढ़ने से पहले उसने अपने आदमियों को ऑर्डर दिया,"कोई भी यहां से हिलना नही चाहिए जब तक की ये शादी नही हो जाती ."
कह कर उसने अपने कदम मंडप की ओर बढ़ा दिए उसे मंडप में आता देख आरजू थर थर कांपने लगी RK के इंटेंशन को समझते ही ध्रुव आकर आगे खड़ा हो गया उसने RK को रोकते हुए कहा,"खबरदार अगर एक और कदम आगे बढ़ाए आरजू मेरी होने वाली पत्नी है और उसकी शादी सिर्फ और सिर्फ मुझ से होगी हमारे बीच कोई नही आ सकता ।"
ध्रुव की बात सुनकर हरीश जी और शांति दोनो जल्दी से आगे आए ध्रुव के मॉम डैड भी उसे रोकने के लिए आगे आए ," ध्रुव बेटा पीछे हट जाओ RK बहुत खतरनाक है वो कुछ भी कर सकता है। "
उनकी बातें सुनकर आरजू की आंखो से आंसु बहने लगे डर के मारे उसका पूरा बदन कांपने लगा वो डर के मारे अपने कदम पीछे खींचने लगी । वहीं ध्रुव गुस्से से अपने मॉम डैड को देखते हुए बोला," व्हाट द हेल मॉम डैड आप लोग को हो क्या गया है ? आप लोग इस दो कौड़ी के गुंडे से डर के मुझे मेरी आरजू से दूर करना चाहते हैं आप चाहते है इससे डर के मैं अपनी आरजू को इसके हवाले कर दूं हरगिज नही। प्यार करता हूं मैं उससे अपनी जान से भी ज्यादा उसके लिए मैं अपनी जान दे सकता हूं और ज़रूरत पड़ी तो किसी की जान ले भी सकता हूं कहते हुए उसने अपनी जलती निगाहों से RK को देखा ।"
"Wow अमेजिंग I'm इंप्रेस्ड बट नोट सीटिस्फाइड इसलिए मुझे चेक करना पड़ेगा की सच में तुम इसके लिए अपनी जान दे सकते हो या नही ।"
कहते हुए RK ने अपनी पॉकेट से गन निकली और उसे लोड करके ध्रुव के माथे पर तान दिया ये दृश्य देखकर ध्रुव के मॉम डैड का पूरा खून सुख गया वहीं हरीश जी भागते हुए आगे आए RK को रोकने के लिए । मगर तब तक देर हो चुकी थी बूम गोली की एक तेज आवाज के साथ ध्रुव जमीन पर चित होकर पड़ा था RK ने उसके सीने पर गोली चला दी थी ।
"ध्रुव"
एक साथ कई आवाजें हाल में गूंज उठी वहीं आरजू मूर्ति की भांति खड़ी होकर तमाशा देख रही थी उसकी बॉडी ने रिएक्ट करना ही बंद कर दिया और वो धम्म से जमीन पर बैठ गई । हरीश जी शांति और ध्रुव के माता पिता ध्रुव की ओर दौड़े मगर उससे पहले RK का इशारा पाकर उसके आदमियों ने उन्हे पकड़ लिया और वो सह छटपटा कर रह गए ।
हरीश जी हाथ जोड़कर बोले देखो RK मेरी आरजू बहुत मासूम है उसे कुछ नही पता उसकी तो कोई गलती भी नही है उसे जाने दो तुम्हे जो सजा देना है हमे दे दो पर उसे जाने दो हरीश जी गिड़गिड़ाते हुए बोले।
ये देख RK के चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ गई ये खेल बहुत रोमांचक होने वाला है हरी पता नही था मुझे अब आएगा मजा कहकर वो ध्रुव को लांघते हुए आरजू के पास आया और उसका हाथ पकड़ कर उसे खींचकर खड़ा कर दिया ।
आरजू जिंदा लाश की तरह खड़ी थी Rk ने उसका हाथ पकड़ा और पंडित की ओर देखते हुए बोला," ए पंडित मंत्र पढ़ना शुरू कर। "
उसकी धमकी सुनकर पंडित जी मंत्र पढ़ने लगे वहीं RK आरजू का हाथ पकड़ उसे लेकर हवन कुंड के चक्कर लगाने लगा।
पहला वचन, तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्या: वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी!।
अर्थ-
आप हमेशा तीर्थ यात्रा या धार्मिक कार्य में मुझे अपने बायीं तरफ स्थान देंगे.
आरके ,"मेरी जिंदगी में तुम्हारी जगह सिर्फ एक रखैल की होगी। "
दूसरा वचन ,"पुज्यो यथा स्वौ पितरौ ममापि तथेशभक्तो निजकर्म कुर्या: वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं द्वितीयम"
अर्थ -
"आप अपने माता पिता की तरह ही मेरे माता पिता का भी सम्मान करेंगे।"
आरके," मै तुम्हारे मां बाप को जीते जी नर्क के दर्शन करवाऊंगा। "
तीसरा वचन," जीवनम अवस्थात्रये पालनां कुर्या वामांगंयामितदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं तृतीयं!!"
अर्थ - आप हर परिस्थिति में मेरा पालन करेंगे ध्यान रखेंगे तो मैं आपके वामांग में आने को तैयार हूं.।
आरके ,"मैं किसी भी स्थिति में तुम्हे खुश नहीं रहने दूंगा। "
चौथा वचन - कुटुम्बसंपालनसर्वकार्य कर्तु प्रतिज्ञां यदि कातं कुर्या: वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं चतुर्थ:
अर्थ- शादी के बाद आपकी जिम्मेदारियां बढ़ जाएंगी. अगर आप इस भार को वहन करने का संकल्प लेते हैं तो मैं आपके वामांग में आ सकती हूं.
आरके - शादी के बाद तुम्हे मेरे घर में नौकरानी का दर्जा मिलेगा मैं अपने पति होने का कोई भी फर्ज नही अदा करूंगा
पांचवा वचन - स्वसद्यकार्ये व्यहारकर्मण्ये व्यये मामापि मन्त्रयेथा वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रूते वच: पंचमत्र कन्या!
अर्थ -
विवाह के बाद घर के कार्यों लेन देन या कोई अन्य धन खर्च करने से पहले आप(पति) एक बार मुझसे जरुर चर्चा करेंगे तो मैं आपके वामांग आऊं।
आरके - मेरे घर के काम में लेन देन में हर चीज पर मेरा हक होगा तुम्हारा कोई हक नही तुम्हारी जगह सिर्फ बिस्तर पर मुझे खुश करने की होगी।
छठा वचन - न मेपमानमं सविधे सखीना द्यूतं न वा दुर्व्यसनं भंजश्वेत वामाम्गमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं च षष्ठम!!
अर्थ - आप सदा मेरा सम्मान करेंगे. कभी अन्य लोगों के बीच अपमानित नहीं करेंगे साथ ही किसी बुरे कार्य में लिप्त नहीं होंगे.
आरके - सबके सामने तुम्हारी इज्जत को तार तार करूंगा आज से तुम्हारी इज्जत की नीलामी शुरू पूरे समाज के सामने तुम्हारी इज्जत का जनाजा निकालूंगा मैं
सातवां और आखिरी वचन - परस्त्रियं मातूसमां समीक्ष्य स्नेहं सदा चेन्मयि कान्त कूर्या वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रूते वच: सप्तमंत्र कन्या!!
अर्थ - आप भविष्य में मेरे अलावा किसी पराई स्त्री को हमारे रिश्ते के बीच नहीं आने देंगे. परायी स्त्री को माता की तरह समझेंगे
आरके - हर रात मेरे बिस्तर पर एक नई लड़की होगी वो भी तेरी आंखों के सामने और तूं कुछ नही कर पाएगी। "
"अब आप दुल्हन की मांग में सिंदूर भरें ।" पंडित जी की बात सुनकर RK ने मंडप में रखे तलब में से एक मुठ्ठी भर के सिंदूर उठाया और आरजू की मांग भर दी ।
विवाह संपन्न हुआ आज से आप दोनो पति पत्नी हुए।
continue......
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